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बुक रिव्यु 6: राख

किताब नाम: राख
लेख़क: जितेंदर  नाथ
प्रकाशक: सूरज पॉकेट बुक्स

बेहतरीन क्राइम थ्रिलर
रेटिंग: 5/5


ऐमज़ॉन डिस्क्रिप्शन: प्रेम नगर में एक के बाद एक होती हुई मौत की अबूझ पहेली के चक्रव्यूह में उलझा हुआ था इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण, जिसे सबूत के नाम पर हासिल थी सिर्फ ‘राख’ । एक ऐसी कहानी जिसमें मौत के नाच के बीच दबा था एक ऐसा अनसुलझा रहस्य जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था । जुर्म और सबूतों के बीच कशमकश की रोमांचक दास्तान ‘राख’ ।.

यह दास्तान हैं एक पुलिस इंस्पेक्टर की एक खूनी की ख़ोज की – एक मात्र क्लू हैं राख़. क्राइम थ्रिलर और डिटेक्टिव कहानियों का अपना अलग ही नशा होता हैं. सर आर्थर कॉनन डॉयल के शेरलॉक होम्स से लेकर अगाथा क्रिस्टी के पोइरोट तक, सुरेंद्र मोहन पाठक के सुनील और वेद प्रकाश शर्मा के केशव पंडित तक, हर लेखक ने इस शैली में हाथ आजमाया है और पाठकों को एक दिलचस्प कहानी देने की कोशिश की है। इस परंपरा का ताजा नाम है जितेंद्र नाथ, जो एक स्कूल शिक्षक, कवि, अनुवादक और अब एक प्रकाशित लेखक हैं।

उनका गद्य नदी की तरह मुक्त प्रवाहित है और प्रत्येक पृष्ठ उनके शोध, परिश्रम और परिपक्वता को दर्शाता है। लेखक ने दिल्ली/एनसीआर का सटीक वर्णन किया हैं, जो कथाकन को विश्वशनीय बनाता हैं. एक सफल अपराध लेखक की तरह वह अंत तक उलझाए रहते है – जब वह एक मंच के जादूगर की तरह टोपी से खरगोश रूपी हत्यारे को बाहर निकाल कर  आपको आश्चर्यचकित करते है।


बतौर लेखक उनको अपनी सीमाओं को एहसास हैं और उन्होंने उसी में एक बढ़िया कहानी देने का प्रयास किया हैं. आशा हैं की अपनी अगली और आने वाली किताबों में वह और ज़्यादा खुल कर और बड़े कलेवर पर लिखने का प्रयास करेंगे. अगर आप क्राइम थ्रिलर्स पसंद करते हैं, तो इस किताब को अवश्य पढ़े.

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