मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान (एफएलएन) और एनईपी 2020 – अपने बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना

श्वेता दीवान – शिक्षिका, दिल्ली नगर निगम, रोहिणी क्षेत्र

“हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है। लेकिन हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।“ – एपीजे अब्दुल कलाम

शिक्षा न सिर्फ जीवन, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी बदलती है। शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सीखना है, जो मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल या एफएलएन पर निर्भर है। सरल शब्दों में, यह लिखने, पढ़ने और बुनियादी गणितीय कौशल का अधिग्रहण है जो एक बच्चे द्वारा बाद में सीखने की नींव के रूप में कार्य करता है। भारत जैसे देश में जहां हर बच्चे को शिक्षित करना अभी भी एक दूर का सपना है – एफएलएन का अत्यंत महत्व है। आइए एफएलएन की चुनौतियों और महत्व के बारे में जानते है और यह समझते है कि यह बच्चों के सीखने की क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है। 

एफएलएन बच्चों की कैसे मदद करता है?

 जब एक बच्चे के पास सीखने के “बिल्डिंग ब्लॉक्स” होते है, तो बच्चा एक ठोस नींव के साथ सीखना शुरू करता है। पढ़ने, लिखने और गणना करने के ये कौशल बच्चे को जीवन भर काम आते हैं। इससे बच्चो को सीखने, समझने, लिखने और सोचने की क्षमता मिलती है। वे स्वयं को स्पष्टता के साथ अभिव्यक्त करने में भी सक्षम होते हैं। इससे उनकी आगे की शिक्षा में तेजी और उनके जीवन में गुणात्मक परिवर्तन भी आता है।

एफएलएन – एनईपी 2020 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो इसे बचपन की शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चो की मूलभूत शिक्षा को तीसरी कक्षा तक  पूरी कर लेना चाहिए। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें बुनियादी और मूलभूत शिक्षा आवश्यक कौशल हासिल करने के उद्देश्य से दी जाए। यह बच्चो की सोचने और उनकी समस्या समाधान क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। 

अपनी कक्षा और विद्यालय में एफएलएन को कैसे शामिल करें? 

शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को अपने सभी पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों में एफएलएन को शामिल करने की आवश्यकता है। यह “नर्सरी” से ग्रेड 3 तक के बच्चों के साथ करना आवश्यक है। शिक्षकों को खेलने और सीखने के अपने मौजूदा तरीकों, ध्वनियों, चित्रों, आकृतियों और छवियों की पहचान में एफएलएन का उपयोग करना सीखना होगा।

यह सब अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है और गलतियों और अभ्यास के साथ हम इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीख सकते है। हमें एफएलएन के परिणामों का डेटा एकत्र करने की भी आवश्यकता है। इससे शिक्षण के तरीकों और विभिन्न शिक्षण सामग्री के उपयोग को मानकीकृत करने में मदद मिल सकेगी।इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए यह कुछ सरल कदम हैं:

Ø  उम्र, ग्रेड और पूर्व शिक्षा के आधार पर एफएलएन लक्ष्य तय करें

Ø  सीखने के सीमित लक्ष्य पहचानें और तय करें

Ø  प्रगति को रिकॉर्ड करे

Ø  जहां आवश्यक हो, परिवर्तन या पाठ्यक्रम में सुधार करें

Ø  प्रक्रिया में विशेषज्ञों और “स्टेकहोल्डर्स” को शामिल करें  

Ø  एफएलएन पर कार्यशालाओं के माध्यम से माता-पिता को शिक्षित करें 

सरकारें और एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) इसमें कैसे मदद कर सकते हैं? 

जंहा एफएलएन एनईपी 2020 का एक अभिन्न अंग है, यह एक बहुत बड़ा काम है। इसके लिए केंद्रीय और राज्य स्तरों पर सरकारों, शैक्षिक बोर्डों, नगर निगमों, गैर-सरकारी संगठनों और समग्र रूप से समाज की सक्रिय और व्यापक भागीदारी की आवश्यकता है। हालाँकि शिक्षक सीखने में इस क्रांति का नेतृत्व करने में सबसे आगे हैं, उन्हें इसके सफल होने के लिए सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) के समर्थन की आवश्यकता है। सरकारें, गैर-सरकारी संगठन और समाज इस प्रकार मदद कर सकते हैं: 

Ø  डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म और शिक्षण सामग्री के निर्माण में मदद करना

Ø  एफएलएन पर शिक्षक प्रशिक्षण, इसके उपकरण और क्षमता का निर्माण

Ø  समाज का सक्रिय सहयोग  

एफएलएन भारतीय समाज को कैसे लाभान्वित करेगा?

एनईपी 2020 के हिस्से के रूप में एफएलएन द्वारा भारतीय समाज को दिए जाने वाले आश्चर्यजनक लाभ हैं। जैसे कि:

Ø  उच्च शैक्षणिक प्रदर्शन

Ø  सामाजिक परिवर्तन और समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना

Ø  आर्थिक विकास

Ø  सक्रिय नागरिक

मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान आने वाले वर्षों में पूरे समाज को प्रभावित करेगा। यह इसे तय करेगा कि हमारे बच्चे कैसे सीखते हैं? यह उनके मस्तिष्क के विकास को बढ़ा कर उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगा।आर्टिफिशियल और मशीन लर्निंग (एआई ) के विकास और तकनीकी सफलता के साथ, यह जरूरी है कि हम अपने छात्रों को कल की दुनिया के लिए तैयार करें। एफएलएन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और सभी बच्चों के लिए एक समान क्षेत्र प्रदान करके इसे विकसित करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

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